देहरादून ,
कांग्रेस के इंवेस्टर समिट पर दिये वक्तव्य पर भाजपा ने कड़ा पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा कि निवेश धूल झोंकने वाला नही, बल्कि कांग्रेस की आँखे खोलने वाला साबित होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य मे निवेश के लिए माहौल और परिस्थितियाँ भी बेहतर है, लेकिन कांग्रेस कार्यकाल मे घपले, घोटाले और अस्थिरता के कारण निवेशकों मे भय था और नतीजा निवेशकों की संख्या 5 साल शून्य रही।
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि समिट से पहले जिस तरह से निवेशकों ने उत्तराखंड के प्रति रुझान दिखाया और एमओयू किये उससे साफ है कि धामी सरकार लक्ष्य भी हासिल करने जा रही है और सभी निवेश धरातल पर क्रियान्वित भी होंगे। चौहान ने कहा कि कांग्रेस सरकार को वर्ष 2012 के कार्यकाल का भी अवलोकन की जरूरत है। उस समय अस्थिरता, गुटीय संघर्ष, घपले घोटालों के साथ इच्छा शक्ति के अभाव से निवेश की और ध्यान नही दिया गया। नतीजा न निवेश आया और राज्य मे विकास की गति सीमित हो गयी। राज्य मे विकास और अर्थ तंत्र की मजबूती के लिए निवेश जरूरी है न कि निवेश कहाँ से हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत साफ है कि निवेश लाना है और कांग्रेस को भी राज्य मे निवेश का स्वागत करना चाहिए, न बल्कि उस पर सवाल उठाये। हर कार्य को राजनैतिक नफ़ा नुकसान के नजरिये से नही देखा जाना चाहिए। भारत मे कार्य कर रही कम्पनी का मालिक ब्रिटेन निवासी है और वह वहाँ पर एमओयू कर रहा तो इसमे समस्या क्यों दिख रही है। आखिर निवेश तो उतराखंड मे आ रहा है, लेकिन कांग्रेस को इसमे दिक्कतें है, क्योंकि पूर्व मे वह ऐसें प्रयास नही कर पायी। जो कंपनी यहाँ पर कार्य कर रही है वह विस्तार कर रही है।
चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष के प्रदेश मे निवेश को लेकर माहौल को लेकर टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके बयान पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। प्रदेश मे जो नये निवेशक आ रहे हैं वह यहाँ की परिस्थिति और उपयुक्त माहौल को देखकर आ रहे है, लेकिन वह निवेश मे भी धार्मिक, कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक दंगे की बात कर रहे है। राज्य मे अभी तक कहीं कोई धार्मिक उन्माद की दूर दूर तक स्थिति नही बनी और वह राज्य मे निवेशकों के न आने का दावा कर रहे है। एक जिम्मेदार विपक्षी दल के अध्यक्ष होने के नाते उनका ऐसा कथन गैर जिम्मेदाराना है। ऐसे मे वह राज्य की छवि खराब कर रहे है।
चौहान ने कहा कि कांग्रेस को रचनात्मक विपक्ष का निर्वहन करना चाहिए और जहाँ तक धामी सरकार के निर्णय का सवाल है तो अब तक हर घोषणा जमीन पर उतरती रही है।