एजेंसी /नई दिल्ली: सरकार के प्रस्तावित आयकर विधेयक, 2025 ने पहली बार वर्चुअल डिजिटल स्पेस को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है और कर अधिकारियों को जांच के दौरान इसकी तलाशी और पहुंच की शक्ति दी है। इसका मतलब है कि अधिकारी ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट, क्लाउड स्टोरेज, ऑनलाइन बैंकिंग या ट्रेडिंग अकाउंट और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म की कानूनी तौर पर जांच कर सकते हैं, यहां तक कि जरूरत पड़ने पर एक्सेस कोड को बायपास भी कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि संसदीय प्रवर समिति द्वारा अनुमोदित इस कदम का उद्देश्य डिजिटल माध्यमों से टैक्स चोरी की बढ़ती प्रवृत्ति से निपटना है, और अधिकारियों को ऐसी कार्रवाइयों के दौरान फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेने का अधिकार दिया गया है।
नए आयकर विधेयक में “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” का वर्णन किया गया है. विधेयक के पाठ में कहा गया है कि वर्चुअल डिजिटल स्पेस का अर्थ एक वातावरण या क्षेत्र है, जिसका निर्माण और अनुभव कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया जाता है, न कि भौतिक, वास्तविक दुनिया (tangible world), जिसमें कोई भी डिजिटल क्षेत्र शामिल होता है जो उपयोगकर्ताओं को कंप्यूटर सिस्टम, कंप्यूटर नेटवर्क, कंप्यूटर संसाधन, संचार उपकरण, साइबरस्पेस, इंटरनेट, विश्वव्यापी वेब और उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके बातचीत करने, संवाद करने और गतिविधियों को करने की अनुमति देता है, निर्माण या भंडारण या विनिमय के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप में डेटा और सूचना का उपयोग करता है।
इसमें कंप्यूटर प्रणाली के बारे में भी बात की गई है, जिसका अर्थ है कंप्यूटर, कंप्यूटर नेटवर्क, कंप्यूटर संसाधन, संचार उपकरण, डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक डेटा भंडारण उपकरण, जो स्टैंड-अलोन मोड या कंप्यूटर सिस्टम के भाग के रूप में उपयोग किए जाते हैं। नेटवर्क के माध्यम से जुड़े होते हैं, या सूचना निर्माण या प्रसंस्करण या भंडारण या विनिमय के लिए मध्यस्थों के माध्यम से उपयोग किए जाते हैं, और इसमें रिमोट सर्वर या क्लाउड सर्वर या वर्चुअल डिजिटल स्पेस शामिल हैं।
यह अधिनियम आयकर अधिकारियों को इमारतों में प्रवेश करने, तलाशी लेने, और जरूरत पड़ने पर ताले तोड़ने का अधिकार देता है, बशर्ते कि समन जारी किया गया ।व्यक्ति कुछ दस्तावेज या लेखा-बही प्रस्तुत न कर पाए. यह अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जांच करने का भी अधिकार देता है।
नया विधेयक इन प्रावधानों को बरकरार रखता है, लेकिन एक कदम आगे जाता है ।अब अधिकारी तलाशी और जब्ती की कार्रवाई के दौरान वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक भी पहुंच सकेंगे। यह पहुंच तब भी प्राप्त की जा सकती है जब इसके लिए एक्सेस कोड को बायपास करना पड़े। आयकर विधेयक 2025 वर्चुअल डिजिटल स्पेस को कंप्यूटर तकनीक के माध्यम से निर्मित और अनुभव किए गए किसी भी वातावरण या क्षेत्र के रूप में परिभाषित करता है। इसमें ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया प्रोफाइल, ऑनलाइन निवेश या ट्रेडिंग खाते, और ऐसी वेबसाइटें शामिल हो सकती हैं जहां संपत्ति के स्वामित्व का विवरण स्टोर होता है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट योगेंद्र कपूर ने बताया कि सरकार द्वारा प्रस्तावित नए आयकर विधेयक 2025 की समीक्षा के लिए नियुक्त संसदीय प्रवर समिति ने नए विधेयक में उन प्रावधानों को बरकरार रखा है, जो कर अधिकारियों को जरूरत पड़ने पर लोगों के सोशल मीडिया, क्लाउड स्टोरेज और निजी ईमेल तक जबरन पहुंच बनाने का अधिकार देते हैं। इसके लिए वे डेटा प्रौद्योगिकी के माध्यम से तलाशी और जब्ती कर सकते हैं और फोरेंसिक विशेषज्ञों की सहायता ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह तलाशी और कानून को लागू करने की दृष्टि से सही दिशा में उठाया गया कदम है, क्योंकि लोगों द्वारा टैक्स चोरी करने की नई कार्यप्रणाली डिजिटल हो गई है।


