मुंबई: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद पर कड़ी कार्रवाई ने मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) को गंभीर झटका दिया है। गुजरात के जामनगर में स्थित रिलायंस की विशाल तेल रिफाइनरी सस्ते रूसी कच्चे तेल की प्रमुख खरीदार रही है, जिससे कंपनी को पिछले कुछ वर्षों में बड़ा मुनाफा हुआ।
हाल के दिनों में ट्रंप के बयानबाजी के कारण रिलायंस के शेयर बाजार में दबाव बना हुआ है। पिछले 30 दिनों में कंपनी के ब्लू-चिप स्टॉक में करीब 7% की गिरावट देखी गई है। मंगलवार को दोपहर 2.38 बजे आरआईएल का शेयर 0.40% गिरकर 1,380 रुपये पर कारोबार कर रहा था, जो इसके 52 सप्ताह के उच्च स्तर 1,551 रुपये से लगभग 11% कम है।
एनर्जी आस्पेक्ट्स की शोध निदेशक अमृता सेन के मुताबिक, निजी रिफाइनरियों जैसे रिलायंस को सरकारी कंपनियों की तुलना में ज्यादा फायदा हुआ है क्योंकि उन्होंने अपनी तेल उत्पादों का अधिक निर्यात किया। सेन का अनुमान है कि रूसी तेल की खरीद से रिलायंस को लगभग 6 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ है।
अमेरिका ने रूस से तेल आयात पर तब तक कोई आपत्ति नहीं जताई जब तक कीमतें G7 देशों द्वारा तय की गई 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा से नीचे थीं। इस कदम से वैश्विक तेल बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति बनी रही और कीमतें नियंत्रित रहीं।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद करके वैश्विक ऊर्जा कीमतों को स्थिर बनाए रखने में मदद की है। उन्होंने कहा कि रूस के 90 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन के बिना वैश्विक तेल आपूर्ति में कमी हो जाती और कीमतें 120-130 डॉलर तक पहुंच सकती थीं।
पुरी ने कहा कि भारत ने ऊर्जा उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है और विश्व के अन्य देशों को भी इसके लिए समझदार निर्णय लेना चाहिए। भारत की इस नीति ने वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखलाओं को संतुलित रखने में मदद की है।


