नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने प्रवासी भारतीय नागरिकों (OCI) से संबंधित नियमों को सख्त कर दिया है। बीते 11 अगस्त को गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को दो साल या उससे अधिक की कारावास की सजा सुनाई जाती है, या सात साल या उससे अधिक की कारावास की सजा वाले अपराध के लिए आरोप-पत्र दाखिल किया जाता है, तो OCI पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
11 अगस्त को गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि यह नया कदम नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7D के खंड (da) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उठाया गया है।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य ओसीआई दर्जे को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे को कड़ा करना है, जो भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को कुछ अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “यह प्रावधान इस बात पर ध्यान दिए बिना लागू होता है कि दोषसिद्धि भारत में हुई है या विदेश में, बशर्ते अपराध भारतीय कानून के तहत मान्यता प्राप्त हो।”
यह अधिसूचना नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अंतर्गत जारी की गई है, जो केंद्र सरकार को निर्दिष्ट शर्तों के तहत ओसीआई पंजीकरण रद्द करने का अधिकार देते हैं।
हाल के वर्षों में, गृह मंत्रालय ने ओसीआई योजना को और अधिक बारीकी से विनियमित करने के लिए कदम उठाए हैं, क्योंकि ऐसे मामले सामने आए हैं । जहां ओसीआई धारक आपराधिक या राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।


