Sunday, December 7, 2025
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गंगोत्री-यमुनोत्री में दीपों की रौशनी,

केदारनाथ-बदरीनाथ में फूलों से सजी मंदिर परिसर

उत्तराखंड के चारधामों में इस वर्ष दीपावली पर्व भक्ति, श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम दीपों की जगमगाहट से आलोकित हो उठे। मंदिर परिसरों से लेकर धाम क्षेत्र तक दीपों और फैंसी लाइटों की छटा देखते ही बनती थी। तीर्थयात्रियों और स्थानीय श्रद्धालुओं ने मां गंगा, यमुना, केदारनाथ और बदरीनाथ के दरबार में विशेष पूजा-अर्चना कर दीपावली पर्व की आराधना की।
गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में दीपावली की रात दीपों से मंदिर परिसर रोशन रहा। मां गंगा और मां यमुना की विशेष आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। अब 22 अक्टूबर को गंगोत्री धाम के कपाट सुबह 11:36 बजे बंद किए जाएंगे, जबकि यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्टूबर को भैया दूज के दिन दोपहर 12:30 बजे बंद होंगे।
कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव, और मां यमुना की डोली खरसाली गांव रवाना होगी। धामों के कपाट बंद होते ही जिले में तीर्थाटन गतिविधियों पर विराम लग जाता है, हालांकि स्थानीय कारोबारियों ने सर्दियों में भी यात्रा जारी रखने की मांग की है।
बदरीनाथ धाम में इस बार दीपावली पर 11 हजार दीप जलाकर मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया। पूरे धाम को पुष्पों और रोशनी से सजाया गया। भक्तों ने भगवान बदरीविशाल की आराधना कर मंगल कामनाएं कीं। मंदिर समिति की ओर से विशेष आयोजन किए गए, जिनमें तीर्थपुरोहितों और प्रशासनिक अधिकारियों की भी सहभागिता रही।
केदारनाथ धाम दीपों और फूलों से सजा रहा। मंदिर परिसर को 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया, वहीं विशेष लाइटिंग से पूरी घाटी रोशन रही। दीपावली की रात मंदिर प्रांगण में दीप जलाकर भाईचारे और शांति का संदेश दिया गया। प्रशासन, पुलिस और मंदिर समिति के अधिकारियों ने मंदिर के चारों ओर दीप जलाए और मिठाइयों का आदान-प्रदान कर पर्व की शुभकामनाएं दीं।
केदारनाथ में आतिशबाजी नहीं की गई, बल्कि पारंपरिक दीप जलाकर पर्व मनाया गया।
जिला मुख्यालय और आसपास के क्षेत्रों में भी दीपावली का पर्व पूरी भव्यता के साथ मनाया गया। तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ, गुप्तकाशी, फाटा, गौरीकुंड, चोपता, मयाली और जखोली समेत अन्य स्थानों पर घरों को दीपों, रंगोली और फूलों की लड़ियों से सजाया गया। लोगों ने घरों में पकवान और मिठाइयों के साथ त्योहार का आनंद लिया।
कपाट बंदी के बाद तीर्थाटन ठप हो जाता है, जिससे यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोग प्रभावित होते हैं। स्थानीय कारोबारियों आशीष सेमवाल और विनय उनियाल ने मांग की है कि शीतकालीन प्रवास वाले स्थलों – खरसाली और मुखबा तक तीर्थयात्रा को बढ़ावा दिया जाए। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु गंगा और यमुना के दर्शन कर बर्फबारी का भी आनंद ले सकेंगे।

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