देहरादून,
उत्तरकाशी में हुई हिंसा के बाद आज प्रदेश भर में विपक्षी दलों एवं जन संगठनों ने कार्यक्रम आयोजित कर आरोप लगाया की राज्य में चंद लोग एवं संगठन लगातार हिंसा और नफरत फैला रहे हैं। जनता को लगने लग गया है कि सरकार की और से इनको संरक्षण दिया जा रहा है। इन चंद लोगों ने नफरती भाषण दिए हैं, निजी एवं सरकारी सम्पतियों पर हमले की हैं, पतराव की हैं, लोगों पर मारपीट की है, और लोगों को अपने मकानों और दुकानों से भगाये हैं, लेकिन इनपर न दंगाई विरोधी कानून लगाया जाता है और न ही आपराधिक कानूनों के सही धाराएं।
उत्तरकाशी के आलावा सिर्फ बीते दो महीनों के अंदर ऐसी घटनाएं कीर्तिनगर, देहरादून, नंदनगर, थराली, मसूरी, बेरीनाग, गौचर और अन्य जगहों में सामने आई है। सत्ताधारी दल इन सारे बातों को नज़र अंदाज़ कर चंद कथित घटनाओं को धार्मिक रंग दे कर, बेबुनियाद उनको किसी प्रकार का “जिहाद” का नाम दे कर, एक साजिश के तौर पर दिखाने की कोशिश कर रही है। इस माहौल में भी कई पुलिस और प्रशानिक अधिकारीयों ने अपने स्तर पर निष्पक्षता के साथ कार्यवाही की हैं जो सराहनीय है लेकिन यह नकाफी है।
इसलिए ज्ञापन द्वारा मांग उठाई गई कि सरकार ज़िम्मेदार व्यक्तियों को संरक्षण देना तुरंत बंद करे; सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार, हिंसक घटनाएं के लिए हर ज़िम्मेदार व्यक्ति एवं संगठन पर सख्त कार्यवाही हो; जहां पर लोगों को खाली करने की धमकी दी गई है, वहां पर प्रभावित लोगों को सुरक्षा दी जाए; 2018 के उच्चतम न्यायलय के फैसलों के अनुसार राज्य भर में भीड़ की हिंसा और नफरती भाषणों को रोकने की व्यवस्था बनाया जाए; महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर ब्लॉक पर “वन स्टॉप सेंटर” खोला जाए; और राज्य के असली मुद्दे, जैसे वन अधिकार कानून, भू कानून, शहरों में गरीबों को घर एवं हक मिले, कल्याणकारी योजनाओं में सुधार, और रोज़गार के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाऐ जाए।
कार्यक्रम रामनगर, चमियाला, उत्तरकाशी, टिहरी, मुनस्यारी, नैनीताल, गरुड़, देहरादून, जोशीमठ, करनप्रयाग और अन्य जगहों में आज हुए हैं। शनिवार को हरिद्वार और उधम सिंह नगर में होने वाले हैं। देहरादून में इंडिया गठबंधन की और से कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष जसविंदर गोगी, प्रदेश उपाध्यक्ष पूरन सिंह रावत, वरिष्ठ नेता याकूब सिद्दीकी और अन्य कार्यकर्ता; सपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ SN सचान एवं अतुल शर्मा; आम आदमी पार्टी की उमा सिसोदिया; और CPI के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी शामिल रहे। उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत एवं निर्मला बिष्ट; उत्तराखंड इंसानियत मंच के त्रिलोचन भट्ट; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह, मुन्ना कुमार, अरुण, और रहमत; और BGVS की स्वाति नेगी शामिल रहे। ज्ञापन जिलाधिकारी देहरादून को सौंपवाया गया।