Monday, December 8, 2025
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पहाड़ों में कड़ाके की सर्दी ने दी दस्तक, श्रद्धालुओं और ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ीं

उत्तराखंड में नवंबर का महीना आधा गुजर गया है, लेकिन पहाड़ों में ठंड की आहट अब सिर्फ महसूस नहीं हो रही, बल्कि उसका असर हर जगह दिखाई देने लगा है। नदी-नाले धीरे-धीरे जमने लगे हैं, बदरीनाथ धाम में तो चट्टानों से बहता पानी भी ठंड की मार से जमकर कांच की तरह अलग-अलग आकृतियों में बदल गया है। यह नज़ारा जितना खूबसूरत है, उतना ही स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के लिए कठिनाइयों का पैगाम भी लेकर आया है।
पहाड़ों में नवंबर का महीना ठंड की तैयारी का महीना माना जाता है। इस बार आधा महीना गुजरते ही तापमान में तेजी से गिरावट आई है। ग्रामीण इलाकों में लोग सुबह-शाम चूल्हों के पास जुटने लगे हैं, ऊनी स्वेटर, जैकेट, टोपी और मफलर में खुद को ढककर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
बदरीनाथ धाम में इस समय तापमान का स्तर -16 डिग्री तक पहुंच गया है। पानी जमने लगा है, जिससे शेषनेत्र झील, ऋषि गंगा के झरने और चट्टानों से बहते जलधाराएं कांच जैसी झलक पेश कर रही हैं। यह दृश्य हर किसी को कुदरत की अद्भुत कला का एहसास कराता है। श्रद्धालुओं और स्थानीय व्यापारियों को बर्फीली हवाओं और लगातार बढ़ती ठंड का सामना करना पड़ रहा है। धाम के कपाट अभी 11 दिन बाद बंद होने हैं, लेकिन इन दिनों की ठंड ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पहाड़ी ग्रामीण अब अपने घरों में चूल्हे और अलाव के आसपास जुट रहे हैं। दिन में भी हल्की धूप में तापमान इतना कम है कि ऊनी कपड़ों के बिना कोई बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। स्थानीय बताते हैं कि अब तक का अनुभव यही कहता है कि दिसंबर, जनवरी और फरवरी में ठंड और ज्यादा बढ़ सकती है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार इस साल दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक सामान्य से 0.5-1 डिग्री अधिक ठंड पड़ने की संभावना है। यानी इस बार सर्दी हाड़ कंपा देने वाली होगी। यदि इस दौरान बारिश या बर्फबारी होती है, तो तापमान और अधिक नीचे जा सकता है।
बदरीनाथ के इस दृश्य को देखकर श्रद्धालु और पर्यटक भी हैरान हैं। बहता पानी ठंड के कारण कांच जैसी आकृतियों में बदल रहा है, जिसे देखकर लगता है जैसे प्रकृति ने किसी नेत्रहीन कलाकार की तरह जल में मूर्तियां बना दी हों। लेकिन इस खूबसूरती के साथ-साथ ठंड ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को कठिन बना दिया है।
कुल मिलाकर पहाड़ों में सर्दी का सितम अब शुरू हो गया है। नदी-नाले जम रहे हैं, पानी कांच जैसी आकृतियों में बदल रहा है, और लोग खुद को ऊनी कपड़ों में लपेटकर ठंड से जूझ रहे हैं। आईएमडी की भविष्यवाणी के अनुसार आने वाले तीन महीने कठिन साबित हो सकते हैं। ऐसे में बदरीनाथ और आसपास के इलाकों के लोग अब इस मार्मिक सर्दी के लिए तैयार हैं।

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