नशे में वाहन चलाने का आरोप साबित न होने पर सेवा में बहाली के निर्देश
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सशस्त्र सीमा बल के लांस नायक/ड्राइवर पुरुषोत्तम दत्त की बर्खास्तगी को अवैध और असंवैधानिक करार देते हुए उन्हें तुरंत सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने 06 मई 2011 को जारी बर्खास्तगी आदेश और 09 अगस्त 2017 के अपीलीय आदेश—दोनों को रद्द कर दिया।
मामला 2 नवंबर 2007 की उस दुर्घटना से जुड़ा है, जिसमें एक सरकारी वाहन खाई में गिर गया था। हादसे में एक जवान की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। ड्राइवर पुरुषोत्तम दत्त पर आरोप लगाया गया था कि वे ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में थे और वाहन उन्होंने लापरवाही से चलाया।
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि इतने गंभीर आरोप को साबित करने के लिए न कोई मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई, न फोरेंसिक सबूत। न ब्लड टेस्ट, न यूरिन टेस्ट और न ही ब्रेथ-एनालाइज़र टेस्ट किया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि सिर्फ मौखिक दावों के आधार पर किसी कर्मचारी को नौकरी से निकालना न्यायसंगत नहीं हो सकता। संदेह कभी भी प्रमाण का स्थान नहीं ले सकता।
सुनवाई में यह तथ्य सामने आया कि सिविल पुलिस ने अपनी जांच में दुर्घटना की वजह सड़क किनारे बनी रिटेनिंग वॉल का टूटना बताया था। पुलिस ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दी थी, जिसे स्वीकार भी किया गया था। ड्राइवर पर किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं पाई गई थी। इसके बावजूद, अनुशासनिक प्राधिकारी ने इस रिपोर्ट और मजिस्ट्रेट के निष्कर्ष को नजरअंदाज कर दिया। अदालत ने इस लापरवाही को गंभीरता से लिया।
हादसे में घायल सह-यात्री जवान कांस्टेबल डोरजी खाडू, कांस्टेबल सुमन देव और हेड कांस्टेबल शिशुपाल सिंह ने भी स्पष्ट कहा था कि दुर्घटना रिटेनिंग वॉल ढहने के कारण हुई। सभी ने यह भी गवाही दी कि ड्राइवर न तो नशे में थे और न ही लापरवाही की थी। पूछताछ अधिकारी ने इन बयानों को भी महत्व नहीं दिया।
अंत में हाईकोर्ट ने कहा कि अनुशासनिक कार्यवाही निष्पक्ष नहीं थी और सबूतों को तर्कहीन तरीके से नजरअंदाज किया गया। इसलिए बर्खास्तगी आदेश रद्द किया जाता है और पुरुषोत्तम दत्त को तत्काल सेवा में पुनः बहाल किया जाए।


