Monday, December 8, 2025
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आपदा की चुनौतियों के बीच श्रद्धा की मिसाल बनी चारधाम यात्रा,श्रद्धा पर भारी पड़ी आपदा, 317 लोगों की गई जान

उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। श्रद्धा, भक्ति और आस्था से ओतप्रोत इस यात्रा के दौरान जहां करोड़ों दिलों ने अपने आराध्यों के दर्शन किए, वहीं आपदा और विपत्तियों ने कई घरों को ग़म भी दिए। गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं, वहीं 23 अक्टूबर को केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा 2025 का अध्याय पूर्ण हो जाएगा।
इस बार की यात्रा में जहां 49 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने चारों धामों के दर्शन किए, वहीं राज्य को कई गहरे जख्म भी मिले। आंकड़े बताते हैं कि मंदिर परिसरों में 188 श्रद्धालुओं की मौत हुई, जबकि आपदाओं के चलते 129 लोगों ने दम तोड़ दिया। दुखद यह भी है कि अब भी 85 से अधिक लोग लापता हैं।

गंगोत्री, यमुनोत्री, धराली से लेकर केदारनाथ तक बारिश, भूस्खलन और खराब मौसम ने यात्रा को कई बार रोक दिया। केदारनाथ में तो बार-बार मौसम खराब होने के कारण हेलीकॉप्टर सेवाओं को भी स्थगित करना पड़ा। कई बार यात्रियों को घंटों मार्ग बंद होने के कारण फंसे रहना पड़ा।
भारी बारिश और आपदा के बावजूद पुलिस, एसडीआरएफ, आपदा प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने अपने पूरे संसाधनों के साथ राहत और बचाव कार्य को अंजाम दिया। हजारों यात्रियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया और कई जगहों पर अस्थायी शिविरों की व्यवस्था की गई।
चारधाम यात्रा 2025 की घटनाओं से सबक लेते हुए उत्तराखंड सरकार अब 2026 की यात्रा को पूरी तरह से बदलने की तैयारी में जुट गई है। मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने स्वयं केदारनाथ और बदरीनाथ का दौरा कर पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी कार्य समय पर पूरे हों।

मुख्य सचिव ने भरोसा जताया कि 2026 तक केदारनाथ धाम में चल रहे सभी निर्माण कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। घाटों, विश्राम स्थलों और ध्यान केंद्रों के साथ-साथ स्वास्थ्य, मौसम, और यात्रा मार्गों की व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा।
बदरीनाथ में भी मास्टर प्लान के अंतर्गत तीव्र गति से कार्य चल रहा है। अनुमान है कि 2026 तक बदरीनाथ धाम का लगभग 80 फीसदी पुनर्निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा। यह कार्य न केवल श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण को भी प्राथमिकता में रखेगा।
चारधाम के कपाट बंद होने के बाद भी श्रद्धालु अपने आराध्यों के दर्शन कर सकते हैं। शीतकाल में गंगा मां की डोली मुखबा गांव, यमुना मां की डोली खरसाली, बाबा केदार की पंचमुखी डोली उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर और बदरी विशाल की पूजा पांडुकेश्वर एवं ज्योतिर्मठ में होती है।
2025 की यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया कि चारधाम केवल तीर्थ नहीं, बल्कि यह धैर्य, साहस और श्रद्धा की भी परीक्षा है। कठिनाइयों के बावजूद लाखों श्रद्धालुओं ने ईश्वर में अटूट आस्था के साथ यात्रा पूरी की।
अब जब हिमालय की चोटियों पर बर्फ की चादरें गिरने लगी हैं, तो धामों में सन्नाटा पसरने लगा है। अगले छह महीनों तक यह निस्तब्धता बनी रहेगी, लेकिन श्रद्धालुओं के मन में 2026 की यात्रा को लेकर उम्मीदें और भी प्रबल हो चुकी हैं। सरकार और प्रशासन भी कमर कस चुका है, ताकि आने वाली यात्रा और अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और सुसंगठित हो।

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