Monday, December 23, 2024
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कांग्रेस की यात्रा हुई फ्लॉप, एजेंडा आधारित मिशन का यह हस्र स्वाभाविक : विनोद सुयाल

देहरादून 25 जुलाई।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल ने कांग्रेस की यात्रा को फ्लाप शो करार देते हुए कहा कि विचार शून्य और एजेंडे पर आधारित ऐसी यात्राओं का यही हस्र होता है। उन्होंने दावा किया कि जनता और खुद कांग्रेसियों ने यात्रा से दूरी बना ली है।
कांग्रेस अध्यक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए सुयाल ने कहा कि जनता ने उनकी राजनैतिक यात्रा से दूरी बनाकर अपना जवाब दे दिया है। क्योंकि सभी जानते हैं कि सनातन विरोध की नीति से फलने फूलने वाली पार्टी का बाबा केदार से प्रेम ढोंग है। ये सुविधावादी हिंदू, भोले के भक्त कांवड़ियों की भावनाओं के सम्मान में विक्रेता का नाम सार्वजनिक करने का विरोध करते हैं । भोलेनाथ के पवित्र चित्रों को राजनीति में प्रयोग कर अपमान करते हैं । इनका इतिहास सनातन विरोधी कृत्यों से भरा हुआ है और आज भी तुष्टिकरण के लिए हिंदुओं का अपमान करना इनकी नीतियों का हिस्सा है। और अब केदारनाथ चुनाव में लाभ लेने के लिए यात्रा निकाल रहे हैं।

सुयाल ने कहा कि कांग्रेसियों को धूल झोंकने मे महारत है और अपनी सरकारों में ये लोग हमेशा सोने को पीतल बनाते आए हैं। भ्रष्टाचार की नाव मे सालों यात्रा कर रही कांग्रेस की वर्तमान हालत भी यही है। यही वजह कि भ्रष्टाचार के अंधे को हर जगह गड़बड़ ही दिखाई देता है। लिहाजा भगवान के नाम की जा रही पाप की सियासत का जवाब जनता ने यात्रा में शामिल नहीं होकर दे दिया हैं।

विनोद सुयाल ने कहा कि कांग्रेस का एकमात्र मकसद है हिंदुओं के पवित्र स्थानों को लेकर भ्रम एवं झूठ फैलाना ताकि यात्रा प्रभावित हो और स्थानीय लोगों की आर्थिक को नुकसान पहुंचाया जाए। उन्होंने चेताया कि भोले के नाम, यात्रा के सम्मान एवं जनता के पेट पर की जा रही चोट का जबाव कांग्रेस को मिलना तय है।

उन्होंने कहा कि केदारनाथ मे स्वर्ण मंडन के हर सवाल और आरोप को कांग्रेस बेहतर ढंग से जानती है। दानी दाता ने दान दिया और मंदिर मे स्वर्ण मंडन किया गया, लेकिन कांग्रेस इस बेहतर कार्य को पचा नही पायी। लेकिन कांग्रेस खुद को सनातन अनुयायी होने के लिए हर हद पार करने को आतुर है चाहे दुष्प्रचार ही क्यों न करना पड़े। यही स्थिति उसके द्वारा दिल्ली मे बन रहे मन्दिर को लेकर भी है।

उन्होंने कहा कि कल तक सनातन को बदनाम और कोस रही कांग्रेस का अचानक सनातन प्रेम आश्चर्यजनक ही नही संदेहास्पद भी है। जनता उसके बदले बदले रुख से अचंभित नही, बल्कि मान बैठी है कि इसमें भी वह कुछ स्वार्थ ढूंढ रही है और उसके किसी भी कथन पर भरोसा नही है।

 

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