Thursday, January 9, 2025
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कबीर दास जी का दोहा अब धन की लूट में तब्दील, अधिकारी बना रहे हैं भव्य संपत्तियां

देहरादून:

राम नाम की लूट है, लूट सकें तो लूट, अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट – यह प्रसिद्ध दोहा अब उत्तराखंड के कई सरकारी अधिकारियों की कार्यशैली पर पूरी तरह चरितार्थ हो रहा है। पहले जहां यह दोहा आत्मिक शांति की ओर इशारा करता था, वहीं अब उत्तराखंड के अधिकारी इसे धन की लूट में बदल चुके हैं। इन अधिकारियों ने अपने जीवन में इसे इस तरह ढाल लिया है कि वे राम के नाम की जगह धन की लूट मचाने में जुटे हैं, और इसे राजनैतिक संरक्षण से अंजाम भी दे रहे हैं।

राज्य के कई विभागों में काम कर रहे अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने अपनी पूरी सेवा में जितना वेतन और भत्ते प्राप्त किए हैं, उनसे कहीं अधिक संपत्ति कैसे बनाई? इनमें से कुछ अधिकारियों ने खुद को ईमानदार और परिश्रमी दिखाते हुए अपनी संपत्ति को कई गुना बढ़ा लिया है, जबकि उनके पास वैध साधनों से इतनी राशि का अर्जन करने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है।

इन अधिकारियों की सूची में एक महिला आईएएस अधिकारी का नाम प्रमुखता से सामने आया है। यह अधिकारी 2010 बैच की हैं, जिन्होंने कई जिलों में जिलाधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। इनके द्वारा अब तक प्राप्त वेतन और भत्ते लगभग 2 से ढाई करोड़ रुपये के आसपास रहे होंगे, लेकिन अब तक इनकी संपत्ति में जो बढ़ोतरी हुई है, वह पूरी तरह चौंका देने वाली है। इस महिला अधिकारी ने हाल ही में मसूरी रोड पर 16 करोड़ रुपये की कीमत की जमीन खरीदी है, जिस पर उनका भव्य घर बन रहा है। अब सवाल उठता है कि जब इन महिला अधिकारी के पास केवल 2 से ढाई करोड़ रुपये की आय थी, तो 16 करोड़ रुपये की संपत्ति कैसे जुटाई गई?

इस सवाल का जवाब तो कोई नहीं दे पा रहा, लेकिन यह भी खुलासा हुआ है कि महिला अधिकारी अपने घर के निर्माण कार्य की निगरानी दिन में नहीं करतीं, बल्कि वे रात को छिपकर काम देखती हैं। यह भी गंभीर सवाल उठाता है कि जब देश में जांच एजेंसियां सक्रिय हैं, तो उत्तराखंड के अधिकारियों पर क्यों नहीं नजर रखी जा रही?

उत्तराखंड के आईएएस, विद्युत निगम, जल निगम, आबकारी विभाग, पीसीएस, और पीडब्लूडी के अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप उठ रहे हैं, जिनकी संपत्तियां उनकी आय से कई गुना अधिक हैं। और जब कोई जांच की बात करता है, तो इन अधिकारियों के राजनैतिक संरक्षण के चलते सब कुछ नजरअंदाज कर दिया जाता है।

धन की लूट: राजनैतिक संरक्षण का प्रभाव

इन अधिकारियों द्वारा किए गए इस तरह के भ्रष्टाचार और संपत्ति निर्माण के मामले उत्तराखंड में एक गंभीर मुद्दा बन चुके हैं। सरकार और जांच एजेंसियों की निष्क्रियता ने अधिकारियों के हौंसले को और बढ़ा दिया है। राजनीतिक संरक्षण और धन के प्रभाव ने इन अधिकारियों को अपनी संपत्तियां बढ़ाने की छूट दे दी है।

देश में सीबीआई, ईडी, और इनकम टैक्स जैसे जांच संगठन दिन-प्रतिदिन किसी न किसी अधिकारी पर कार्रवाई करते हैं, लेकिन उत्तराखंड के इन अधिकारियों पर इन एजेंसियों की नजर क्यों नहीं पड़ी, यह सबसे बड़ा सवाल है।

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