देहरादून 22 नवंबर
भाजपा ने पीएम मोदी पर राहुल की अपमानजनक टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस पनौती के मामले मे अनुभव की धनी है और उनके युवराज को उनके ही दल मे दबी जुबान से ऐसा कहने वालों की कमी नही रही। अब वह नफरत और संभावित हार की बौखलाहट मे पीएम के लिए ऐसा संबोधन दे रहे है।
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस की कड़ी आलोचना करते हुए तंज किया कि अपने युवराज को लेकर कांग्रेसियों को पनौती होने का अच्छा खासा अनुभव है । मोदी लीडर की तरह जीत में ही नहीं हार में भी साथ खड़े होकर हौसला बढ़ाते हैं ।
राजस्थान चुनाव में राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिए अभद्र बयान को भट्ट ने इन चुनावों में कांग्रेसी हार की हताशा बताया है । उन्होंने कटाक्ष किया कि पनौती वो हैं स्वतंत्रता आंदोलनकारियों के सपनों पर, जिनके नेशनल हेराल्ड अखबार और उसकी हजारों करोड़ की संपत्ति को इन्होंने धोखे से कब्जा करने का प्रयास किया । वह न्यायालय से बेल पर और ईडी की कार्यवाही पर विरोध करते हुए ईमानदारी का फटा ढोल पीट रहे हैं । ये पनौती हैं उन किसान भाइयों पर, जिनकी जमीनों पर किए गोलमाल के आरोप हैं कांग्रेसी दामाद पर लगे है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था जिसे भ्रष्टाचार के दलदल में डुबोने का काम इनकी सरकारों ने किया और वीर सपूतों को जान देनी पड़ी, क्योंकि इनकी रक्षा नीति और नीयत में कमी थी। देश के विकास को सत्ता में रहते हमेशा अवरुद्ध करने का इनकी सरकारों ने काम किया । यदि पनौती का यदि सबसे अधिक अनुभव किसी को है तो वह स्वयं कांग्रेस पार्टी है । जिसने अपने युवराज के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नेतृत्व में अनगिनत चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा है । विगत कई चुनावों में तो कांग्रेस का जो प्रदेश नेतृत्व मजबूत होता था वो तो उन्हे प्रचार में बुलाता नही था और जो नेतृत्व कमजोर होता था वो भी उन्हें बुलाने से कतराता था ।
भट्ट ने व्यंग किया कि इस तरह की कुत्सित सोच और अभद्र व्यवहार कांग्रेसी नफरत की दुकान के असली सामान हैं । मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के बाद राजस्थान चुनावों में भी कांग्रेस को अपनी हार सुनिश्चित दिखाई दे रही है, जिसकी बौखलाहट है राहुल का पीएम के खिलाफ दिया यह बयान । इतिहास बताता है कि पूर्व में जब जब कांग्रेस ने मोदी जी का अपमान करने का प्रयास किया, तब तब जनता ने उन्हें चुनावों में सबक सिखाया है । उसपर इस बार अपमान सिर्फ नरेंद्र मोदी का नही बल्कि देश के प्रधानमंत्री का भी है । उनके इन शब्दों ने सवा सौ करोड़ भारतवासियों के हृदय को आहत करने का काम किया है और जिसके लिए शीघ्र उन्हे देश से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए । क्योंकि देश गवाह है कि एक असली लीडर की तरह उन्होंने किस तरह सामने आकर, हार से निराश खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने का काम किया है ।