Monday, December 23, 2024
spot_img
HomePoliticsहस्तशिल्प में हुनरमंद लोगों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि पीएम विश्वकर्मा...

हस्तशिल्प में हुनरमंद लोगों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि पीएम विश्वकर्मा योजना: भट्ट

देहरादून ,

भाजपा ने पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत पर देवभूमि के सभी परिवारजनों को शुभकामना दी है । साथ ही भरोसा जताया कि यह कौशल विकास योजना राज्य के लिए सर्वाधिक लाभकारी साबित होगी, जिससे हमारे कारीगरों और शिल्पकारों के हाथों का जादू दुनिया देखेगी।

प्रदेश अध्यक्ष  महेंद्र भट्ट ने मीडिया से अलग अलग माध्यमों से हुई बातचीत में बताया कि यह योजना देश में सबसे अधिक हमारे राज्य के हस्तकला और हस्तशिल्प में हुनरमंद भाई-बहनों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने वाली है। उन्होंने बताया, उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में ही देखें तो लकड़ी के फर्नीचर, हस्तशिल्प, ऊनी शाल, कालीन, ताम्रशिल्प, सजावटी कैंडल, रिंगाल के उत्पाद, ऐपण, लौह शिल्प आदि बहुत शानदार पारंपरिक कार्य विभिन्न क्षेत्रों की पहचान बने हुए हैं । मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना के सफल संचालन से हम सबको मिलाकर, अपने इन्ही परिवारजनों के हाथों की जादूगरी को दुनिया में सशक्त आधार और सुनहरी पहचान दिलाने है । क्योंकि इसमें रिंगाल और बांस की ही बात करें तो  यह पिथौरागढ़, चमोली, अल्मोड़ा आदि जिलों का प्रमुख हस्तशिल्प उद्योग है। जिससे सूप, डाले या डलिया,  टोकरी, कंडी, चटाई, मोस्टा आदि हस्तशिल्प वस्तुएं बनाई जाती हैं।

भट्ट ने जोर देते हुए कहा, यदि इस रिंगाल व बांस हस्तशिल्प से जुड़े हमारे परिवारजनों को यदि विश्वकर्मा योजना से 15 दिन का प्रशिक्षण मिले वो भी 500 रुपए प्रतिदिन अनुदान और औजार खरीदने के लिए 15 हजार सहयोग राशि के साथ। साथ ही अपना व्यवसाय शुरू करने या आगे बागे बढ़ाने के लिए पहले 1 लाख फिर दो लाख रुपए का लोन मिले वो भी 5 फीसदी के बयाज पर बिना गारंटी के । इसके अतिरिक्त जो हमारे कारीगर या शिल्पकार सामान तैयार करेंगे उसकी बिक्री की चिंता भी सरकार करेगी । इतनी सब सुविधा एवम सहयोग के बाद निसंदेह, हाथों के इन हुनरमंद वर्गों का आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान होना तय है । ठीक ऐसा ही निर्णायक बदलाव पौधों से प्राप्त होने वाले रेशों से दरी, कम्बल, रस्सियाँ और पिथौरागढ़ व चमोली में भेड़ों के ऊन से पश्मीना शॉल, दन, थुलमा, चुटका, कम्बल, व पंखी आदि अद्भुत हस्तशिल्प वस्तुएं एवम लोहाघाट, जोहार घाटी, मिलम घाटी के चर्म उधोग एवम धातु उधोग से जुड़े लोगों के जीवन में आने वाला है ।

उन्होंने कहा, चूंकि देवभूमि का पारंपरिक हस्तकला एवम हस्तशिल्प बेहद शानदार है । लेकिन उपभोक्ता की जरूरतों के अनुशार उत्पाद के निर्माण का प्रशिक्षण अभाव, जरूरी पूजीगत निवेश और बाजार की कमी के कारण हमारे ये परिवारजन लगातार संघर्ष कर रहे हैं । उन्होंने विश्वास दिलाते हुए कहा, प्रशिक्षण, ऋण और मार्केटिंग की कमी को दूर करते हुए यह योजना हमारे हाथ के कारीगर भाइयों को विश्वपटल पर अपनी जादूगरी दिखाने में अवश्य सफल होगी ।

 

RELATED ARTICLES

Most Popular