उधमसिंह नगर/देहरादून,
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने उधम सिंह नगर के पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। दसौनी ने कहा की उधम सिंह नगर जहां रुद्रपुर में एक महिला नर्स के संग गैंगरेप और निर्ममता से हत्या कर दी गई वहां के एसपी का इस तरह का बयान अति संवेदनशील और भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। गरिमा ने कहा की उधम सिंह नगर के कप्तान के द्वारा यह कहा जाना कि समाज के दरिंदो का ठेका अकेले पुलिस प्रशासन ने नहीं लिया है अपने आप में उत्तराखंड में हो रहे अपराधों की कलई खोलने के लिए काफी है। दसौनी ने कहा की जब आज पूरा उत्तराखंड सदमे में है एक के बाद एक महिला उत्पीड़न की खबरें समूचे प्रदेश से आ रही हैं।
उधम सिंह नगर के कप्तान का क्षेत्रीय जनता के समक्ष दिया गया बयान गैर जिम्मेदारना, निर्दयी और संवेदनहीन है। दसौनी ने कहा कि यदि कानून व्यवस्था में सुधार करना पुलिस प्रशासन का काम नहीं है तो आखिर किसका काम है? एसएसपी के बयान का निहितार्थ क्या यह समझा जाए कि आज प्रदेश की बहन बेटियों को अपनी अस्मिता की जिम्मेदारी स्वयं उठानी होगी? दसौनी ने कहा कि पुलिस प्रशासन के पास एक पूरा सिस्टम इंटेलिजेंस, एलआईयू इत्यादि होता है जिसके तहत वह अपराधियों की धर पकड़ कर सकते हैं जो आम आदमी की पहुंच से बाहर है। और तो और समाज में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए बहुत जरूरी है कि पुलिस प्रशासन का डर भय और रसूख विकृत और अपराधी मानसिकता के लोगों में व्याप्त रहे।
दसोनी ने कहा कि केवल कोई जघन्य अपराध हो जाने के बाद आरोपियों को पकड़ भर लेना पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, उसकी जिम्मेदारी उससे कहीं बड़ी है। समाज में अपराधीक घटनाएं न हो पुलिस प्रशासन की यही कोशिश होनी चाहिए, ना कि अपराध होने के बाद अपराधियों को पकड़ लेना और अपनी पीठ थपथपाना ।
गरिमा ने कहा की कोलकाता में हुए महिला डॉक्टर की गैंगरेप और हत्या से पूरे देश को हिला कर रख दिया था की रुद्रपुर में एक महिला नर्स के साथ गैंगरेप और हत्या की खबर आ गई ,उत्तराखंड अभी उस दुख से बाहर आया भी नहीं था कि देहरादून के आईएसबीटी से 16 वर्षीय किशोरी के पांच लोगों के द्वारा बारी-बारी से दुष्कर्म की खबर आ गई। इसके अलावा हल्द्वानी में सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती किशोरी के साथ यौन उत्पीड़न की कोशिश, पिथौरागढ़ में एक छात्रा के साथ चौकीदार द्वारा छेड़छाड़ का मामला अखबारों की सुर्खियां बना हुआ है और इन सबके बीच पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का इस तरह का बयान समाज के मनोबल को तोड़ देने वाला और मानसिकता को उजागर करने वाला है ।
दसौनी ने कहा की एक पुरानी कहावत है की” गुड ना दो गुड जैसी बात तो कर दो” ऐसी संवेदनशील मौकों पर किसी भी प्रदेश की जनता हो सांत्वना और आश्वासन चाहती है, वह पुलिस प्रशासन की तरफ बहुत आस भरी निगाहों से और हसरतों से देखती है परंतु उत्तराखंड की सरकार तो संवेदनहीन थी ही अब पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी खुली जुबान से अपराधियों का ठेका न लेने की बात करेंगे तो आखिर जनता किसके भरोसे रहेगी?