देहरादून,
विभिन्न देशों में निवासरत उत्तराखण्डियों के इस समागम में अपनी मूल जड़ों, विरासत और मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम और उत्साह की झलक दिखी।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के प्रवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि तेजी से विकसित हो रहे उत्तराखण्ड में निवेश की व्यापक संभावना है। साहसिक पर्यटन, पावर जनरेशन, एरोमेटिक, विनिर्माण, कृषि, उद्यान, हर्बल, आयुष एंड वैलनेस इत्यादि में निवेश की आभार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि हमने राज्य को निवेश डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने के लिए नीतिगत और ढांचागत दोनों स्तर पर बड़े सुधार किए हैं। काम शुरू करने में आसानी हो, इसके लिए नियमावली में उसी अनुरूप सुधार किए हैं। अपराधमुक्त और भयमुक्त समाज के लिए अनेक सख्त वैधानिक प्रावधान किए हैं।
सड़क, रेल, हवाई अड्डा, रोपवे, संचार नेटवर्क का बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। जिससे राज्य एक सुरक्षित, सुगम और आकर्षक निवेश स्थल के रूप में भी तेजी से उभर रहा है। नीति आयोग और अन्य राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग संस्थाओं की रैंकिंग भी इसी ओर इशारा करती है।
मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि उत्तराखण्ड की पलायन जैसी विकट समस्या के समाधान के लिए अपनी मातृभूमि के किसी गांव-कस्बे को गोद लेते हुए उसको विकसित और संरक्षित करने का प्रण लें। उन्होंने कहा कि राज्य को आपकी योग्यता, अनुभव और तकनीकी ज्ञान की बहुत आवश्यकता है और राज्य की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को साकार करने के लिए यह महत्वपूर्ण भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव का एक विशिष्ट महोत्सव भी है। हमारे प्रवासी उत्तराखण्डी अपनी ईमानदारी, मेहनत और समर्पण के लिए देश-विदेश में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश-विदेश में भारत का नाम आप लोग रोशन कर रहे हैं, उसी तरह से अपनी मातृभूमि उत्तराखण्ड का नाम भी रोशन करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रवासियों से बेहतर समन्वय और सहयोग प्रदान करने के लिए प्रवासी प्रकोष्ठ का भी गठन किया है। हम शीघ्र वेंचर फंड का भी प्रावधान करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 उत्तराखण्ड के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। इस वर्ष राज्य अपना रजतोत्सव मना रहा है। आगामी 28 जनवरी से राज्य राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए तैयार है। इसी माह समान नागरिक संहिता कानून लागू करने जा रहे हैं। हाल ही में हमने शीतकालीन पर्यटन की शुरुआत भी की है। जो राज्य की आर्थिकी के लिए गेमचेंजर साबित होगा।
उत्तराखण्ड के प्रवासियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस तरह से उन्होंने भी बचपन में यहां की पगडंडिया नापी हैं। तब के और आज के उत्तराखण्ड में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। तब हमने रोजगार की तलाश में विदेश का रुख किया था। उन्होंने कहा कि आज बदलते उत्तराखण्ड में युवाओं को काम करने के लिए बहुत संभावनाएं हैं। क्योंकि आज उत्तराखण्ड ने बहुत से क्षेत्रों में विकास के बड़े मानक तय किए हैं।
प्रवासी उत्तराखण्डी गिरीश पंत, अनीता शर्मा, देव रतूड़ी, विनोद जेठुडी, ए. के. काला और शैलेश उप्रेती ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन की पहल के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखण्ड सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इससे उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने और अपनी माटी के लिए कुछ करने का अवसर मिला है। हम सभी अपने अनुभव, तकनीक और ज्ञान से राज्य सरकार के साथ मिलकर पलायन की इस समस्या का बेहतर समाधान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी प्रवासियों को राज्य के दुरस्थ क्षेत्र का कोई न कोई गांव जरूर गोद लेना चाहिए। अपना गांव तो गोद ले ही सकते हैं। गांव गोद नहीं ले सकते तो कम से कम किसी बच्चे को ही गोद लें।
बहुत से प्रवासियों ने अपनी मातृभाषा में संबोधन किया। जिससे मातृभूमि के प्रति उनका गहरा नाता दिखा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के विकास में अपना योगदान देने वाले तथा राज्य के गांव को गोद लेने वाले उत्तराखण्ड के प्रवासियों गिरीश पंत, अनीता शर्मा, देव रतूड़ी, विनोद जेठुडी, ए. के. काला और शैलेश उप्रेती को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा ‘हाउस आफ हिमालयाज उत्तराखण्ड ब्रांड’ से विक्रय किए जाने वाले उत्पादों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।