Tuesday, December 24, 2024
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प्रदेश में सड़क हादसे सरकार और पुलिस की नाकामी: धस्माना

देहरादून,

उत्तराखंड में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, और प्रदेश की सरकार और पुलिस की व्यवस्था सवालों के घेरे में है। देर रात हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे में उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता और राज्य निर्माण आंदोलन के जुझारू योद्धा त्रिवेंद्र सिंह पंवार का असमय निधन हो गया। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय पंवार को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल के संरक्षक व पूर्व केन्द्रीय अध्यक्ष और जनहित के मसलों पर हमेशा मुखर रहने वाले स्वर्गीय त्रिवेन्द्र सिंह पंवार की मृत्यु ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। इस अवसर पर स्वर्गीय त्रिवेंद्र सिंह पंवार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उत्तराखंड की जमीनी राजनीति और सरोकारों से जुड़े एक आंदोलनकारी का खोना है।

उन्होंने कहा कि स्वर्गीय त्रिवेंद्र सिंह पंवार जैसा नेता, जो हमेशा राज्य के हितों के लिए लड़ा, उसकी असमय मृत्यु ने हमें झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि यह हादसा केवल व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है कि हमारी सड़कों पर कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

इस अवसर पर धस्माना ने प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को जमकर आड़े हाथ लिया। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि प्रदेश में सड़क हादसे अब हत्या का पर्याय बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार और पुलिस की घोर नाकामी है कि निर्दोष लोग लगातार अपनी जान गंवा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हर हादसे के बाद केवल आश्वासन मिलते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिस्टम की इस लापरवाही का खामियाजा प्रदेशवासियों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। इस अवसर पर धस्माना ने राज्य सरकार से मांग की कि वह तत्काल सड़क सुरक्षा के लिए प्रभावी और ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि हादसों को रोकने के लिए केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि सख्त नीतियों और उनके कड़ाई से पालन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय त्रिवेंद्र सिंह पंवार का जाना राज्य की राजनीति और आंदोलनकारी भावना के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा कि उनकी असमय मृत्यु ने जहां सरकार की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है और वहीं इस घटना ने प्रदेशवासियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सड़क हादसों से निपटने के लिए अब और कितनी जानों की बलि देनी पड़ेगी यह कहा नहीं जा सकता है।

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