देहरादून,
राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश प्रभारी दिलीप राठौड़ ने पंचायत और शहरी निकायों की मजबूती पर बात रखी।
राठौर ने कहा की 73वें 74 वे संशोधन की नींव 64वें संशोधन में ही पड़ गई थी ,स्वर्गीय राजीव गांधी जी के पास लोकसभा में बहुमत था लेकिन राज्यसभा में संख्या बल न होने की वजह से वह पारित नहीं हो पाया ,जिसे बाद में स्वर्गीय प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने आगे बढ़ाया और दोनों ही सदनों में पारित करवाया। राठौर ने कहा की पंचायती राज राज्य सूची का विषय है केंद्रीय और समवर्ती सूची का नहीं ,ऐसे में यह जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है कि वह सत्ता का विकेंद्रीकरण करते हुए छोटी सरकार को उसके अधिकार देकर मजबूती प्रदान करें ।राठौर ने कहा की 11वीं व 12वीं अनुसूची में साफ तौर पर पंचायत और शहरी निकायों के हक हकूक ,अधिकार एवं महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। राठौर ने यह भी बताया कि 1993/ 94 के बाद लगातार देश के हर प्रदेश में पंचायत के चुनाव होते हैं जिसमें ओबीसी, एससी एसटी और महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था है। उन्होंने कहा की पंचायत की समस्याओं का हल पंचायत से ही निकलेगा उसका निस्तारण दिल्ली या देहरादून से नहीं हो सकता।
ऐसे में जरूरत है जो 11वीं अनुसूची में पंचायत को 29 विषयों पर निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार दिया गया है और 12वीं अनुसूची में निकायों को 18 विषयों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है उसे गंभीरता से लागू करवाने की।
लेकिन विडंबना यह है की ना ही जनता को और ना ही चुने हुए जनप्रतिनिधियों को इसकी पूरी जानकारी है, राठौर ने कहा कि प्रतिवर्ष लगभग 36 लाख नए लोगों का पंचायत चुनावों के माध्यम से राजनीति में प्रवेश होता है ऐसे में उत्तराखंड राजीव गांधी पंचायती राज संगठन सभी प्रत्याशियों एवं चुने हुए जनप्रतिनिधियों को उनके हक उनके अधिकार के विषय में जानकारी देगा और एक वृहद जन आंदोलन भी इस विषय में चलाया जाएगा जिसमें जनता को सीधे तौर पर उनके अधिकारों के विषय में और छोटी सरकार कब मजबूत होना कितना जरूरी है यह समझाया जाएगा।इस दौरान दिलीप राठौड़ ने विनोद कापड़ी की उत्तराखंड के लिए दंश पलायन विषय पर बनी पुरस्कृत फिल्म” द पायर” का जिक्र भी किया।