देहरादून,
गंगा की पवित्रता को खत्म करने के साथ ही उसका दोहन करने के लिए खनन माफियाओं को हरिद्वार बुलाकर लूट-खसोट करने की अनुमति जिलाधिकारी ने प्रदान की है। यह अनुमति तब दी गई, जब पीएम ने वर्ष 2019 में रायवाला से लेकर भोगपुर तक के क्षेत्र में खनन व क्रशिंग करने की अनुमति नहीं देने का लिखित में आश्वासन दिया था।
देश के प्रधानमंत्री एक तरफ गंगा का निर्मलता और उसकी पवित्रता को बनाएं रखने के लिए लगातार कदम उठा रहे हैं, वहीं उत्तराखंड के हरिद्वार में खनन माफियाओं को खनन करने के लिए आंमत्रित किया गया है। ये खनन माफिया दूसरे प्रदेश से आकर खनन करेंगे और गंगा की पवित्रता को दूषित करने का कार्य करेंगे। हरिद्वार के जिलाधिकारी ने 23 नवंबर को दो आदेश जारी किए हैं। डीएम ने एक आदेश में शासन के पत्र संख्या 1933 का उल्लेख किया है। जिसमें कहा गया है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा राजमार्ग संख्या 74 हरिद्वार-नगीना भाग के 4 लेन के चौड़ीकरण एवं सुदृढीकरण हेतु मलबा, आरबीएम और सिल्ट की आपूर्ति हेतु जनपद व तहसील हरिद्वार से चंडीपुल के डाउनस्ट्रीम (गंगा नदी) में चिह्नित किया गया है। इस गंगा नदी की लाट संख्या 2 में एक लाख 8 हजार टन व लाट संख्या 3 में भी एक लाख 8 हजार टन कुल मिलाकर दो लाख 16 हजार टन निकासी की अनुमति मैसर्स वेंकटेश बालाजी इन्फा एण्ड ट्रेडिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है। इस कंपनी को ये खनन करने का कार्य छह माह के अंदर पूरा करना होगा। इस कंपनी को छह माह की स्वीकृति की रायल्टी एवं अन्य शुल्क खनन अधिकारी के हरिद्वार कार्यालय में जमा करने का आदेश दिया गया है। जिलाधिकारी कार्यालय ने एक आदेश में शासन के पत्र संख्या 1787 का उल्लेख किया गया है। इस पत्र में भी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा राजमार्ग संख्या 74 हरिद्वार-नगीना भाग के 4 लेन के चौड़ीकरण एवं सुदृढीकरण हेतु मलबा, आरबीएम और सिल्ट की आपूर्ति हेतु जनपद व तहसील हरिद्वार से चंडीपुल के डाउनस्ट्रीम (गंगा नदी) में चिह्नित किया गया है। जिसमें लाट संख्या Þ से एक लाख 86 हजार 300 टन मलबा, आरबीएम और सिल्ट उठाने की अनुमति दी गई है। इस कार्य को मेसर्स जेपी एस डेवलपर्स हरिद्वार अंजाम देगा। इस आदेश में भी नियमनुसार रायल्टी सहित अन्य शुल्क जमा करने का आदेश जारी किया गया है। प्रदेश सरकार के इशारे पर दिए गए खनन के आदेश में एक कंपनी का पता हरिद्वार दर्शाया गया है, जबकि दूसरी कंपनी का कोई पता डीएम के आदेश में नहीं हैं। डीएम हरिद्वार कर्मेन्द्र सिंह की कलम से जारी आदेश शासन से जारी पत्रों के आधार पर किए गए हैं। इस आदेश को जारी करने के से पहले खनन निदेशाालय से लेकर शासन के खनन सचिव तक ने अनुमति प्रदान की है। अब सवाल उठता है कि एक कंपनी का केवल नाम है, उसका क्या पता है, वह आदेश में सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया है।
देश के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2019 में मातृ सदन को लिखित में आश्वास्त किया गया था कि रायवाला से भोगपुर तक किसी भी तरह का खनन व क्रशिंग की अनुमति किसी भी सूरत में नहीं दी जाएगी। उत्तराखंड प्रदेश के अधिकारी क्या प्रधानमंत्री से बड़े हो गए हैं जो उनके आदेश के बावजूद इस प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन करने की अनुमति प्रदान कर रहे हैं, या ये अधिकारी केवल एक मोहरा है और उनको जो आदेश प्रदेश के मुखिया से मिल रहा है, उसका पालन कर रहे हैं। खनन वैसे तो एक पत्थर होता है, लेकिन ये पत्थर सरकारों और माफियाओं के लिए सोना होता है। सोना पीला होने के कारण चमकता है और पत्थर, रेता बजरी के भंडार सोने से ज्यादा कीमती होते हैं। प्रदेश का खनन निदेशक और खनन सचिव पूर्व से ही चर्चित अधिकारी है और प्रदेश में किसी भी राजनैतिक दल की सरकार हो उसके चेहते ही बनकर अपनी नौकरी को अंजाम देते हैं।