देहरादून ,
भारतीय संविधान, जो विश्व का सबसे लंबा और व्यापक लिखित संविधान है, अपनी ऐतिहासिकता, समावेशिता और धर्मनिरपेक्षता के लिए जाना जाता है। यहां यह विचार उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने संविधान दिवस के अवसर पर व्यक्त किए।
यहां कांवली में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष आयोजित संविधान बचाओ माह के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि धस्माना ने संविधान की रक्षा का संकल्प दिलाया और युवाओं को संविधान की प्रस्तावना वितरित की। भारतीय संविधान की विशेषताएं गिनाई और अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन बनाए रखने में सक्षम है। संविधान अपनी लचीलापन और कठोरता दोनों के लिए अद्वितीय है।
उन्होंने कहा कि अब तक इसमें ’106 संशोधन’ किए गए हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और सार्वभौमता की मूल भावना अडिग रही है। यह संविधान प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार, न्याय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है। उन्होंने संविधान निर्माण के ऐतिहासिक पहलुओं को रेखांकित करते हुए बताया कि भारतीय संविधान में विश्व के प्रमुख संविधानों जैसे ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली, अमेरिका के मौलिक अधिकार, कनाडा के संघीय ढांचे और आयरलैंड के नीति-निर्देशक सिद्धांतों के बेहतरीन तत्वों को समाहित किया गया है।
इस अवसर पर धस्माना ने संविधान पर मंडरा रहे खतरों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज कुछ शक्तियां संविधान की मूल भावना और भारत की श्अनेकता में एकताश् की विचारधारा को चोट पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह प्रण लेना होगा कि संविधान की रक्षा और इसके सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार की कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटेंगे।
इस अवसर पर बाबा साहेब की प्रतिमा के समक्ष उपस्थित जनसमूह ने संविधान की रक्षा के लिए शपथ ली। धस्माना ने युवाओं और महिलाओं को संविधान की प्रस्तावना और हर घर संविधान पुस्तिका भेंट की। इसके साथ ही 51 आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को गरम शॉल भी वितरित किए।
इस अवसर पर कार्यक्रम में अवधेश कुमार कठेरिया, ललित भद्री, संजय भारती, ी अनीता दास, सुशीला बेलवाल शर्मा, गुड्डी देवी, शुभम सैनी, राजेंद्र सिंह राज, संजय कुमार और आशुतोष द्विवेदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का समापन संविधान की रक्षा के दृढ़ संकल्प और भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने के संदेश के साथ हुआ।