Friday, January 10, 2025
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चुनाव : स्मार्ट मीटर का मुद्दा होने लगा भारी

देहरादून’( एसपी अरोड़ा, )

नगर निकाय चुनाव में स्मार्ट मीटर का मुद्दा लगातार जोर पकड़ता जा रहा है। ये मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को भारी पड़ रहा है। विपक्ष के उम्मीदवार स्मार्ट मीटर की तुलना करोना बीमारी से कर रहे है।

उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रोें में विद्युत निगम स्मार्ट मीटर लगाने के लिए तैयार बैठा है। इस कार्य को संपंन कराने के लिए विद्युत निगम के एमडी अनिल यादव को सेवा विस्तार दिया गया है। ये स्मार्ट मीटर अडाणी गु्रप की कंपनी के द्वारा लगाए जाने है। एक तरह से विद्युत वितरण का कार्य अडाणी ग्रुप को सोंप दिया गया है। अडाणी ग्रुप के अधिकारी और कर्मचारियों ने उत्तराखंड के जनपद देहरादून, हरिद्वारÑ, उधमसिंह नगर व नैनीताल में डेरा डाल दिया है और उनके लाखों मीटर इन जनपदों में किराए पर लिए गए गोदाम में आ गए है। अडाणी ग्रुप नगर निकाय चुनाव की घोषणा से पूर्व ही स्मार्ट मीटर लगवाने का प्रयास कर रहा था, विद्युत विभाग के अधिकारियों ने स्मार्ट मीटर को लगाना शुरु किया तो उसका जनता से लेकर जनप्रतिनिधियों ने विरोध करना शुरु कर दिया था। जिसके चलते स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया परवान नही चढ़ पाई और फिर प्रदेश सरकार ने नगर निकाय चुनाव में नुकसान होने की संभावना को देखते हुए स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया पर विराम लगा दिया। सूत्र बताातें है कि अडाणी ग्रुप को विद्युत निगम के एमडी ने आश्वास्त किया है कि वह पूरे प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगवाकर ही रहेंगे और इसी शर्त पर उनके सेवानिवÞत होने के बाद सेवा विस्तार दिया गया है।

 

नगर निकाय चुनाव में विपक्षी मेयर, चेयरमैन, पार्षद और सभासद के प्रत्याशियों ने अपने चुनाव प्रचार में स्मार्ट मीटर को मुद्दा बनाया शुरु कर दिया है। कांग्रेस ने स्मार्ट मीटर की तुलना करोना जैसी खतरनाक बीमारी से की है। कोरोना में जिस तरह गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को ेइलाज के लिए दवाई, आक्सीजन, अस्पताल में बेड तक नही मिला, उसी तरह स्मार्ट मीटर से पैसा नही होने पर इन वर्गो को बिजली नही मिलेगी। स्मार्ट मीटर लगने के बाद कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी से भी बिजली नही ले पायेगा। स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार ही कर रहे है और उनका साथ विपक्ष के जनप्रतिनिधि दे रहे है। भारतीय जनता पार्टी का शहरी क्षेत्र में मध्यमवर्गीय व गरीब लोग मतदाता है जो आंख बंद करके भाजपा के पक्ष में मतदान करते आए है, लेकिन स्मार्ट मीटर में मध्यमवगीय व गरीब मतदाता की बंद आंखों को खोल दिया है और वह भाजपा सरकार के इस निर्णय का विरोध खुलकर करने लगे है। जनता में स्मार्ट मीटर का विरोध होना भाजपा प्रत्याशियों की नींद उड़ाने का काम कर रहा है। नगर निकाय चुनाव का मतदान 23 जनवरी को होना है और स्मार्ट मीटर का मुद्दा यदि जमकर चल गया तो भाजपा के प्रत्याशियों हवा में उड़ जायेंगे। नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस ने अपने-अपने प्रत्याशियों को ेअपने-अपने वार्ड में स्मार्ट नही लगने देगें, उसके पोस्टर लगाने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस ने जिस तरह इस मुद्दों को उठाने का ऐलान किया है, उसने भाजपा के प्रत्याशियों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। अब देखना होगा कि जिस तरह मतदान की तारीख नजदीक आती है, उसमें स्मार्ट मीटर की के मुद्दे की काट सत्ता पक्ष और उसके प्रत्याशी किस तरह निकालते है।

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